बिजनौर जिले के नगीना तहसील में एक गाँव है- क़स्बा कोटरा. कानूनन प्रधान महिला होनी चाहिए. है भी. लेकिन हुजूर प्रधानपति भी तो हैं.
गुरु लोग कहते हैं की कानून और व्यवहार के बीच का अन्तर सामाजिक सरंचना तय करती हैं. ये पश्चिमी उत्तरप्रदेश है जहां ना जाने कितने अल्ट्रासाउंड क्लिनिक बच्चिओं की जीवन यात्रा शोर्ट सर्किट कर देते हैं. सौ बातों की एक बात, महिलाएं घर/बच्चे संभालेगी या प्रधानी करेंगीं! भाई साहब आप इतना पढ़ लिख कर भी रहे बेवकूफ़ ही!
क़स्बा कोटरा - 500 घरों में 50-60 घर सैनियों के और गिन के पाँच घर जाटों के.
लगभग आधी आबादी मुसलमानों की और आधी चमारों की.
"हरिजन?
हरि के जन तो सभी हैं साहिब. मगर जात से हम चमार हैं. वही लिखो. "
गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें