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अपनी ढपली
और राग होंगे- तेरे-मेरे, इसके-उसके, यहाँ-वहाँ के!
रविवार, 28 जून 2009
बिजनौर - रात के तीन चित्र.
भीड़ लगी होती है साब! पीछे चार कुर्सी डाल कर बैठने का भी इंतेज़ाम है. एक बार इडली खा ली थी. पता चला की बिजनौर कुछ ज्यादा ही दूर है मद्रास से!
"दिलजला टाईम्स"- न जाने कितनों के दिल जला पाता होगा!
"यू. पी. हुई हमारी है/ अब दिल्ली की बारी हैं"
गुरुवार, 18 जून 2009
जगह मिलने पर साइड दी जायेगी
१) गाड़ी के पीछे-
सपने मत देख, सामने देख!
२) बस के किनारे-
लटक मत, टपक जाएगा!
3) धर्मेन्द्र अपना चिम्पांजी/जट्ट यमला टाइप नृत्य करते हुए, डिम्पल से-
थोडी सी तुम पीना
थोडी मुझे पिलाना
बाकी सारा ज़माना
खस्मा नूं खाना ||
आखिरी सद्विचार, "
मयखाना
" की बढती लोकप्रियता को समर्पित.
बुधवार, 17 जून 2009
बुरी नज़र वाले
१) बुरी नज़र वाले... तेरा मुंह काला
२) बुरी नज़र वाले... तेरा भी भला हो
३) बुरी नज़र वाले... कमा के खाले
४) बुरी नज़र वाले, तेरा... चल छोड़ यार!
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मैं कौन हूँ और तुम क्या हो, इसमे क्या है धरा सुनो| धरती-गगन रहे चिर-चुम्बित, मेरे क्षितिज उदार बनो||
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