१) गाड़ी के पीछे-
सपने मत देख, सामने देख!
२) बस के किनारे-
लटक मत, टपक जाएगा!
3) धर्मेन्द्र अपना चिम्पांजी/जट्ट यमला टाइप नृत्य करते हुए, डिम्पल से-
थोडी सी तुम पीना
थोडी मुझे पिलाना
बाकी सारा ज़माना
खस्मा नूं खाना ||
आखिरी सद्विचार, "मयखाना" की बढती लोकप्रियता को समर्पित.
गुरुवार, 18 जून 2009
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7 टिप्पणियां:
बहुत बढिया.....शानदार
marhabaaa! kya baat hai!
वाह-वाह
jee haa bahut maza aaya. bahut achchha.
बहुत जोरदार....:))
नीरज
मारुती -800 के पीछे लिखा था -'में बड़ी होकर, मर्सिडीज़ बनूंगी'
ट्रक के पीछे लिखा था-
" धीरे चलोगे, बार-बार मिलेंगे.
तेज चलोगे, हरिद्वार मिलेंगे."
वो ट्रक वैसे हरिद्वार ही जा रहा था.
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