वो आदमी
जिसके पास
औसत से ज्यादा शब्द
कम समझदारी
हर दम चोट खाने का भय था
और
जो इस भय की प्रतिक्रिया
तीसरी और चौथी पंक्ति को मिला कर
कर दिया करता था!
कहना
आया था, चला गया!
गुरुवार, 29 जनवरी 2009
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और राग होंगे- तेरे-मेरे, इसके-उसके, यहाँ-वहाँ के!
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