मौसम के थोड़ा
उपर नीचे होने पर
१० मिनट बात कर सकने वाला मैं
शीतलहर और लू से मरने वालों
(वो जहाँ कहीं भी हैं)
पर कहाँ सोच पाता हूँ!
सोमवार, 2 फ़रवरी 2009
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और राग होंगे- तेरे-मेरे, इसके-उसके, यहाँ-वहाँ के!
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