Degrees Without Freedom? पढ़नी पड़ रही है! दरअसल शोध बिजनौर से बड़े शहरों में श्रम प्रवासन (labor migration) पर आधारित है. आजकल सर्वे-प्रश्नावली पर चर्चा चल रही है. डॉ. वेगेर्ड इवेर्सेन (प्रोजेक्ट के सर्वेसर्वा) के अनुसार, बिजनौर को समझने में ये किताब काफ़ी लाभकारी सिद्ध होगी. मैं अभी पहला अध्याय भी पूरा नही पढ़ पाया हूँ, मगर किताब की शुरुआत बड़ी धमाकेदार और दमदार है. उम्मीद है आने वाले समय में इसकी और चर्चा कर सकूंगा.
आज ये भी तय हुआ की इस रविवार को हम बिजनौर के लिए निकल रहे हैं, और शायद अगले १० दिन वहां आंकड़े इक्कठे करने में बीतेंगे. फ़िर ३-४ दिन का दिल्ली प्रवास. अगले दो महीनों यही कार्यक्रम चलेगा.
एम. फिल. के बारे में अभी भी बहुत सोचना है. कल!
राहुल ने कहा था की १०-१४ के बीच में आएगा. उससे बात करनी होगी. पुणे में उसके साथ खूब छनी थी!
शुक्रवार और शनिवार छुट्टी है (बिजनौर जाने से पहले का सुख).
आर.अनुराधा जी अशोक भाई को बता रही थी की चोखेर-बाली को लेकर कुछ कार्यक्रम शुक्रवार को कला-संकाय में है. क्या है, कब है, कहाँ है? दुबारा पूछना पड़ेगा.
मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009
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