हम भी हो गए सस्ते शेरों के शैदाई,
और inspired हो के ये सस्ती गज़ल बनाई
(याद रखना मेरे भाई,
हमने अपना पुराना गीत छापने की प्रोमिस temporarily दी है भुलाई) -
शेर है मेरा सबसे सस्ता|
है लेकिन ये एकदम खस्ता||
इसकी ही है चर्चा हरसू|
गली-गली औ' रस्ता-रस्ता||
टूटा हैं यह कसता-कसता|
उजड़ गया है बसता-बसता||
उसकी किस्मत-मेरा क्या है|
निकला है वो फँसता-फँसता||
दुनिया क्यों है रोती रहती|
जग है फ़ानी-जोगी हंसता||
सोमवार, 11 अगस्त 2008
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