हम भी जायेंगे प्रगति मैदान| थोड़ा वाइरल से उबर जाएँ! पहली तनख्वाह खीसे में धर के पहुंच जायेंगे किताबों से लपट-झपट करने।
दिलो-दिमाग के साथ-साथ अगर सेहत और जेब भी साथ दे तो पुस्तक मेला ज़्यादा ही खुशगवार हो जाता है! कई सौ किताबों के स्टॉल और लाखों नही तो हजारों बेहतरीन किताबें। बहरहाल, कुछ एक रोचक अनुभव रहें हैं पुस्तक मेलों के| आने वाली पोस्टों में लिख देंगे|
एक आखिरी बात! इस बीच अगर कोई महानुभाव पहले पहुँच कर मज़ा लूट लायें तो थोड़ा यहाँ भी बाँट दे। प्लीज न!
चेतावनी-
जिस किसी ने इस पोस्ट को पढ़ने और पुस्तक मेले घूम चुकने के बाद भी ज्ञान नही बाटा तो उसके अपने करीबी एक-एक करके उसकी सारी किताबें "पार" कर देंगे| और फ़िर कैसे कहोगे-I love books!
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