सोमवार, 11 अगस्त 2008

बिलोगिये इरफ़ान

ये मेरी दिली इच्छा है की हिन्दी-ब्लॉग जगत के धुरंधरों का ज़िक्र होता रहे| ऐसे ही एक धुरंधर हैं-इरफ़ान| इनके ब्लोगों को पढ़ कर सीना डेढ़ इंच चौड़ा हो जाता हैं| ज़िन्दगी को सच्चे माने में celebrate करने का हौंसला देते हैं इनके ब्लॉग| और सोने पर सुहागा ये की ज़बान भी अपनी है! बाकी तो आप जैसे रसिक ढूँढ-ढूँढ कर पता लगा लेंगे- भारत की खोज में टूटते-बिखरते से सस्ते शेर|

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