हिन्दी में ब्लोगिंग शुरू करने का प्रोत्साहन मुझे इन्टरनेट पर फैले हिन्दी के विशाल साम्राज्य ने ही दिया था| इस ज्ञान-गंगा के एक अमूल्य मोती से आपको मिलाने का लोभ-संवरण नही कर पाया| साईट है- गीता-कविता| एक बार इस साईट में कूदे तो यकीं मानिये, फिर मन चाहेगा की इस साहित्यिक-धार्मिक-आध्यात्मिक-बौद्धिक सागर में ही डूबे रहें|
आपको इस साईट की और खींचने के लिए एक दाना और! साईट के रचनाकार- राजीव कृष्ण सक्सेना हिन्दी साहित्य की शान "धर्मवीर भारती जी" के भांजे हैं| हिन्दी के प्रति ऐसा समर्पण और प्रेम...कम लिखे को ज़्यादा समझें क्योंकि मेरा और कुछ कहना सूरज को दीप दिखाने के समान होगा| इतना ही कहूँगा की २४ केरेट सोना है, लपक लो|
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2 टिप्पणियां:
विनय जी
आज ही देखते हैं ये ब्लॉग...
नीरज
ज़रूर! और ये भी बताइएगा की कैसी लगी!
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